Poetry
अब ना रहें अल्फाज़ कोई, बस कुछ एहसास बाकी है
जान तुम ले गये अपनें साथ में, बस दिल के टुकड़ें बाकी है
हर ख़्वाहिश हमारी तुमसे थी
ज़िन्दगी हमारी तुमसे थी
तुम समेट ले गये हमारे अरमान सारे
फिर तेरे लिए मुझमे चाहत बाकी है
तुम समझो भले ही हमें नाकाबिल
शायद ना कर सकें हम तुमको हासिल
पर तेरी चाहत की हसरत अभी भी बाकी है
जान तुम ले गये अपनें साथ में, बस दिल के टुकडे़ बाकी हैं