Poetry ये रुठे पन्ने अब मेरी दस्तां कहतें कहाँ हैं ज़ख्म देने वाले हजा़रों हैं पर मरहम लगाने वाले कहाँ हैं किस्मत ने कुछ लकीरें खींच दी उन लकीरों के पार अब हम जाते कहाँ हैं हर ओर छाया सन्नाटा सा है नजा़रों में भी बहारें अब कहाँ दिखतीं हैं जो कुछ मिठी यादें …

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Poetry वक्त ने ज़रा रंग क्या बदला  इस ज़मानें ने अपनी रंगत दिखा दी हमे ज़रा अंधेरो ने क्या जकडा़ ज़मानें नें हमें हमारी हैसियत दिखा दी कुसूर ज़रा हम भी कर गयें, भला किसी पर इतना यकीन कौन करता है इस ज़मानें की भी बस है यही पहचान,ये हर पल में अपनी रंगत बदलता है…

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ऐ जि़न्दगी

Poetry ऐ जि़न्दगी तू मुझसे समझी ही ना गयी जो कभी समझा तुझे तो तू मुझसे कही ही ना गयी तेरी राहों में दरारें आना लाज़मी ही था पर उन दरारों से लगी चोट कभी भरी ही ना गयी सम्भाला खुद को बहुत पर सम्भल ना सकें जि़न्दगी तू मुझसे मिलकर भी कभी मुझसे मिली ही नहीं हो जात…

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Poetry मुहब्बत पर बन्दिशों का साया रहा ये दिल भी ज़माने से हारा रहा जम गई धूल यादें धुधंली हो गयीं आया अंधेरा ऐसा मुहब्बत में कयामत हो गयी जि़द की हर दहलीज़ पार करने का इरादा था मुहब्बत में लगी चोट ऐसी मुहब्बत ही ग़मगीन हो गयी बिखर कर खुद समेटना आता था हमें ह…

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वो कहते हैं हमसे

Poetry वो कहते हैं हमसे, उन्हें यकीन नहीं मुहब्बत में हम भी उन्हें समझा नहीं पातें, जि़न्दगी है बसती मुहब्बत में हमारी वो कहतें हैं उनका इरादा नहीं दिल तोड़ने का हमारा पर हम उन्हें समझायें कैसे की ऐसा कहकर वो हमपर क्या जुल्म करतें है होगी ये मजा़क की बात नज़र…

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Poetry हम ना कर सकें सब्र ये बेसब्री ही कुछ ऐसी थी हम तुझको पाकर सबकुछ लुटा गयें तुझे पाने की चाहती ही कुछ ऐसी थी नहीं है ग़म की हम अपना सबकुछ लुटा कर आयें हैं  है दिल में बस खुशियों की दस्तक  हम तुझे अपना बना कर आयें हैं अब ज़रुरत नहीं हमें इस ज़माने की अब ब…

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Poetry इन निगाहों को यूं फेर कर ,हम पर सितम ना कीजिये  हम तो बस एक दिवानें हैं, हम पर ये जुलूम ना कीजिये इन निगाहों में हैं सांसे बसीं हमारी तेरे दर पे आकर जि़न्दगी ये रुकी मेरी जि़न्दगी यूं दुश्वार अब ना कीजिये ओ हमनशी हम दिवाने हैं, हमें बेताब यूं ना कीजिये…

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Poetry  एक कसक सी रह गयी, कहानी अधूरी सी रह गयी ना मिल सकी मुहब्बत को मंजि़ल जो कहनी थी दस्तां वो अनकही सी रह गयी हो नहीं सकता था जो अपना, उसे हम अपना मान बैठें थें जो नसीब में था नहीं, उसे नसीब मान बैठें थें हम चाहतें थें जिसके लिये हर दहलीज़ पार कर जाना वो …

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Poetry इन नज़रों में तू यूं बस गया किसी और का इनमें बसेरा क्या होगा  जिस सुबह तेरी झलक ना मिले भला वो सवेरा क्या होगा  होगा जो देख लेंगें, बस एक साथ तेरा जो साथ होगा जो मिल ना सके रस्ते में साथ तेरा वो रस्ता भला क्या होगा कटने को तो कट ही जायेगी है उम्र तमाम …

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Poetry समंदर की चाहत तो हर नदी की फितरत है   नदी बस होकर रह जाये समंदर की उसकी बस इतनी सी हसरत है खुद के वजूद को खो कर मिल जाना हमसफर के वजूद में ऐसी मुहब्बत हो जाती है मुकम्मल ये मुहब्बत की फितरत है जो नाम मिले बस महबूब को मिले  खुद के इश्तेहार की मुहब्बत मे…

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Poetry क्यों ना जाऊं उस ज़माने से दूर ,जो ज़माना कभी मेरा हुआ ही नहीं हर बार अपना दर्द बयां किया मुझसे ,पर मेरा दर्द कभी सुना ही नहीं राहें मेरी सुनसान हुयीं, ये जि़न्दगी भी बेजान हुयी मुझसे उधार लेकर मेरी ही सांसे, मेरा सहारा ये कभी बना ही नहीं कब तक करुं इस…

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Poetry उन नजा़रों के हम गु़लाम हो गयें जिन नजा़रों में तेरी परछांई भी दिखी अब बस तू आ जा सामनें एक बार तूझे देखे बिन ये सांसे रुकीं हमें आता नहीं करना इज़हार फिर भी इस दिल की पुकार सून ले तू एक बार तेरी चाहतों में हम यूं गुलाम हो गयें इंतजा़र के लम्हें तमाम ह…

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Poetry ज़रा ठहर जा रे मन इस पल में है जिन्दगी की झलक इस पल में  ज़रा गुज़रे वक्त के पन्नें पलट ज़रा दिल को बहल जाने दे इस पल में जो खो गया वो क्या फिर मिल पायेगा जो मिला है उसे छीन कौन पायेगा  ना मिल सका जो छोड़ कर उसकी परवाह जो मिला है उसका जश्न मना ले इस पल…

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